बीज उस फल का यहाँ
उग सकेगा कैसे भला
देखो इस बंजर भूमि को
प्रेम का पोषण इसे मिला कहाँ
बड़े होने का फ़र्ज़ यहाँ
अदा कौन करता है भला
देखो उस मुरझाए फूल को
ज्ञान का सूरज उसने देखा कहाँ
बहते हुए जीवन की यहाँ
कद्र कौन करता है भला
घिस घिस कर फोन के चहरे को
जीवन सुंदर बनेगा कहाँ
हर दिन किसी छात्र को यहाँ
कक्षा की अपनी हुई थी परवाह
न ऊर्जा पाता अपने गुरु से वो
तो कक्षा में चन्द्रयान पहुंचता कहाँ
(Dedicated to all teachers and scientists)

