विराट समंदर के दामन में
जैसे खेलता उजला सूरज हो
उम्मीद है साथ में बैठ उसके
महसूस करूंगा ऐसी शांति को
समाधिस्त पहाड़ो की गोद में
जैसे खेलता हुआ सुंदर गाँव हो
उम्मीद है साथ में बैठ उसके
देख सकूँगा ऐसी मासूमियत को
गानो से सजी हुई महफ़िल में
जैसे खेलता हुआ कोई साज़ हो
उम्मीद है साथ में बैठ उसके
सुन सकूँगा ऐसे संगीत को
शांत बहती सुबह की हवाओ में
जैसे खेलती हुई कोई सुगंध हो
उम्मीद है साथ में बैठ उसके
पाऊंगा ऐसे अपूर्व आनंद को
