मुझसे दूर यहाँ
है सब जीवित खुद को कहते
हर कोई न मालूम
क्यों अधमरा सा रहता है
मुझसे दूर यहाँ
है सब ज्ञानी खुद को कहते
हर कोई न मालूम
क्यों डरा डरा सा रहता है
मुझसे दूर यहाँ
है सब बलवान खुद को कहते
हर कोई न मालूम
क्यों चलना भी नहीं जानता है
सिद्धार्थ होकर यहाँ
है सब मुझको ही सबमे देखते
तुम्हारा सिद्धार्थ न मालूम
क्यों उठना भी नहीं चाहता है
