मेरी कविताएँ
मुखौटे
छोटी छोटी खुशियों के दीपक से सजता जो हर आँगन मन का पुलकित होती हर स्वांस जो जीवन होता बिना मुखौटो का हल्के हल्के …
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November 08, 2024
रात का ये चौथा पहर आँखो से लुटी है नींद पर मौज में सोया शहर बनते उलझते मेरे ख्याल लावारिस से भटकते सवाल कुछ इन चु…
छोटी छोटी खुशियों के दीपक से सजता जो हर आँगन मन का पुलकित होती हर स्वांस जो जीवन होता बिना मुखौटो का हल्के हल्के …