शरीर को दो कसरत
मन को निर्मल विचार
दर्द से दूर न भागो तुम
हृदय बड़ा करो यार
कर्म रहे उसको समर्पित
रण रहे लहूँ से रंजित
पुरुषार्थ का सम्मान करो तुम
हृदय बड़ा करो यार
दिखाई अपनों ने तस्वीर पराई है
मुखौटे ये सभी उघाड़ो तुम
हृदय बड़ा करो यार
ये डर गायब हो जाएंगे
साथ में अपने अंधकार ले जाएंगे
अपने दीपक स्वयं बनो तुम
हृदय बड़ा करो यार

