किसने मिट्टी में प्राण फैलाया
मै हूँ कौन और कहा से आया
जन्म क्यों किस लिए ये पाया
मै बाहर रहकर समझ न पाया
किसने ताल पे किसे नचाया
हँसा कौन और कौन रुलाया
पास होकर दूरी मै देख न पाया
मै बाहर रहकर समझ न पाया
किसका हृदय मैंने क्यों जलाया
तृष्णा में खुद को क्यों भुलाया
काल से देखो बचा न कुछ पाया
मै बाहर रहकर समझ न पाया
विवेक ने जब अज्ञान जलाया
मै और मेरा का मैल मिटाया
शून्य में एकत्व का ठौर पाया
हर तरफ दिखा साहब का साया

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